चैत्र माह में रामनवमी के पश्चात शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है। भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित इस व्रत को विधि विधान से करने से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत सभी प्रकार की बुराइयों, अवगुणों से बचाता है। जो लोग इस व्रत का पालन करते हैं वे अपने अतीत और वर्तमान में हुए पापों से मुक्ति पा जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।
कामदा एकादशी पर भगवान श्री हरि विष्णु को फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल आदि समर्पित करें। इस व्रत में हर पल भगवान विष्णु का स्मरण कर व्यतीत करें। इस व्रत में रात्रि में जागरण करें। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और इसके बाद ही व्रत का पारण करें। भगवान श्री हरि की पूजा में पंचामृत एवं तुलसी के पत्ते का उपयोग अवश्य करें। द्वादशी को पूजा के बाद सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दान दें। एकादशी व्रत में सभी प्रकार के अनाज का सेवन वर्जित है। जो लोग एकादशी व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा झूठ एवं परनिंदा से बचना चाहिए। जो व्यक्ति एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करता है, उस पर भगवान श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा होती है। इस दिन व्रत कथा का श्रवण अवश्य करें।
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