September 30, 2024

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हिमाचल में बंद का नहीं दिखा खास असर

केंद्रीय ट्रेड यूनियन व स्वतंत्र फेडरेशनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान का हिमाचल प्रदेश में कुछ खास असर नहीं दिखा। शिमला, हमीरपुर, मंडी सहित धर्मशाला में सीटू से संबंधित सभी यूनियनों ने केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। यूनियनों के पदाधिकारियों व सदस्‍यों ने सरकार की मजदूर, किसान, जन विरोधी, कॉरपोरेट समर्थक, राष्ट्र विरोधी विनाशकारी नीतियों के खिलाफ रैली भी निकाली। बैंकों में हड़ताल का कुछ खास असर नहीं दिखा। अधिकतर बैंकों में कामकाज होता रहा।
जिला शिमला में ठियोग कुमारसैन के विधायक राकेश सिंघा, सीटू शिमला जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह हिमाचल प्रदेश भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन के महासचिव काकू कश्यप, जसबीर, देवराज, हेमराज, हरीश, डोला राम, हिमाचल किसान सभा नारकंडा ब्लाक के अध्यक्ष केशव राम, महासचिव राकेश वर्मा, विजय राजटा ने कहा कि सरकार जिन नीतियों को अपना रही है उन नीतियों के कारण लोगों के जीवन, आजीविका और देश की अर्थव्यवस्था को आपदा के कगार पर खड़ा कर दिया है। अब संघर्ष न केवल लोगों के अधिकारों व आजीविका व जीवन बचाने के लिए है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और संपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था और पूरे समाज को उस आपदा और विनाश से बचाने के लिए है।
मजदूर नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि महंगाई पर तुरंत रोक लगाई जाए, मनरेगा वर्कर को 350 रुपये दिहाड़ी व 200 दिन का रोजगार दिया जाए, 4 मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं व बिजली संशोधन विधेयक 2021 को निरस्त किया जाए, कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के 6 सूत्रीय मांगपत्र को स्वीकार करो। बैंक, बीमा, बीएसएनएल, पोस्टल, रक्षा, बिजली, रेलवे,कोयला, बंदरगाहों, एनटीपीसी, एसजेवीएनएल, भेल, एनएचपीसी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सार्वजनिक क्षेत्रों का विनिवेश व निजीकरण को रोकना और एनएमपी को रद्द करना। आंगनबाड़ी, मिड-डे मील व आशा वर्कर्स को 45वें श्रम सम्मेलन के अनुसार मजदूर का दर्जा, न्यूनतम वेतन, पेंशन, मेडिकल व ग्रेच्युटी दी जाए,वर्तमान जीवनयापन सूचकांक के आधार पर प्रतिमाह 26000 रुपये न्यूनतम वेतन घोषित किया जाए, सरकारी कांट्रेक्ट, सभी मजदूरों व कर्मचारियों को स्थायी रोजगार दिया जाए, फिक्स टर्म रोजगार के निर्णय को तुरंत वापिस लो, सभी आउटसोर्स कर्मियों को अनुबंध पर लिया जाए, उच्चतम न्यायालय के फैसले अनुसार समान काम का समान वेतन दिया जाए, एनपीएस को रद्द करो और पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए। इन मुख्य मांगों को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के साथ मिलकर देशव्यापी हड़ताल में सीटू से संबंधित सभी यूनियन ने भाग लिया।