April 19, 2024

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जहांगीरपुरी हिंसा: छतों से ईंट-पत्थर, बोतलें बरसा रही थीं महिलाएं

जहांगीरपुरी में शनिवार रात हिंसा के दौरान पुलिसवालों की जान पर बन आई थी। घायल होने के बावजूद खाकी वर्दी वाले उग्र भीड़ को काबू करने में लगे। सब-इंस्‍पेक्‍टर मेदा लाल, एएसआई अरुण कुमार समेत कुल 8 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हमारे सहयोगी टाइम्‍स ऑफ इंडिया से बातचीत में मेदा लाल ने बताया कि वह और पुलिस के बाकी साथी दोनों समुदायों के बीच दीवार की तरह खड़े थे नहीं तो बहुत सारे लोग घायल हो जाते। लाल ने कहा, ‘दो जुलूस शांति से निकल गए। तीसरा एक मस्जिद के पास से गुजर रहा था जब शोभायात्रा में शामिल लोगों की दूसरी ग्रुप से लड़ाई हो गई। फिर पत्‍थरबाजी शुरू हो गई मगर हमने हालात काबू कर लिए। एसआई ने कहा कि हालात शांतिपूर्ण थे मगर कुछ असामाजिक तत्‍वों ने भीड़ में घुसकर हिंसा शुरू की। उन्‍होंने बताया, ‘भीड़ में महिलाएं और बच्‍चे थे। हमने छतों से महिलाओं को ईंट, पत्‍थर, बोतलें फेंकते देखा। हिंसा के दौरान कई राउंड फायरिंग हुई और एक गोली मेरे बाएं हाथ में लग गई।’

जहांगीरपुरी में क्‍या हुआ था, चश्‍मदीद से जानिए
एसआई मेदा लाल ने बताया कि जुलूस के साथ आगे और पीछे, दोनों तरफ पुलिस चल रही थी। मैं पीछे की तरफ था। शाम को जब जुलूस मस्जिद के सामने पहुंचा, तो वहां पहले दोनों पक्षों के लोगों की आपस में कुछ बहस हो गई, जिसके बाद मामला गालीगलौच और मारपीट तक पहुंच गया और देखते ही देखते दोनों पक्षों के लोग भिड़ गए। उन्होंने एक दूसरे पर पत्थर चलाने शुरू कर दिए। उस वक्त जुलूस का आगे का हिस्सा निकल चुका था और केवल पीछे के कुछ लोग बाकी थे। हमने जुलूस में शामिल सभी लोगों को चौराहे से आगे जी ब्लॉक की तरफ निकाल दिया और बाकी लोगों को चौराहे के दूसरी तरफ रोक दिया।

जब हम लोग स्थिति पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे, तभी औरतों ने घरों की छतों से पत्थर और बोतलें फेंकनी शुरू कर दी। हम उनसे बचने की कोशिश करते हुए पेड़ों और दीवारों के पीछे छुपने लगे। तभी सी ब्लॉक की तरफ से किसी ने गोली चलाई, जो मेरे बाएं हाथ के आर-पार हो गई और तेज ब्लीडिंग होने लगी। यह देखकर मेरे साथी फौरन मुझे खींचकर पीछे ले गए और फिर पीसीआर में बैठाकर मुझे अस्पताल पहुंचाया।
मेदालाल, सब-इंस्‍पेक्‍टर (दिल्‍ली पुलिस)

‘आग बुझाने पहुंचा तो पथराव कर दिया’
हिंसा में जख्मी हुए एक अन्य पुलिसकर्मी एएसआई अरुण कुमार ने बताया कि मैं जुलूस के पीछे जिप्सी में चल रहा था, तभी आगे झगड़ा शुरू हो गया। उस वक्त थाने का काफी स्टाफ वहीं मौजूद था। मैं भी गाड़ी से बाहर निकलकर हालात को काबू में करने में मदद करने लगा। तभी जी ब्लॉक की तरफ किसी ने रेहड़ी और गाड़ी में आग लगा दी। मैं उस आग को बुझाने पहुंचा, तभी कुछ लोगों ने मेरे ऊपर भी पथराव कर दिया, जिससे मेरे कंधे, चेहरे और पैर पर चोट लगी। मेरे कुछ और साथी भी उसी दौरान जख्मी हो गए थे। बाद में और फोर्स आ गई, तब जाकर हालात काबू में आए।

FIR में क्‍या लिखा है?
शोभायात्रा की सुरक्षा को संभालने वाले इंस्पेक्टर राजीव रंजन ने एफआईआर में उपद्रव के एक-एक सीन का जिक्र किया है। उन्होंने बयान दिया कि जब शोभायात्रा समय करीब 6 बजे सी ब्लॉक मस्जिद के पास पहुंची तो एक शख्स अंसार अपने 4-5 साथियों के साथ आया और शोभायात्रा में शामिल लोगों से बहस करने लग गया। बहस ज्यादा बढ़ने के कारण पथराव शुरू हो गया। जिसके कारण शोभायात्रा में भगदड़ मच गई। पुलिस स्टाफ ने पथराव को रोकने व शांति बनाए रखने की अपील करते हुए दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर अलग अलग कर दिया।

कुछ ही मिनटों के बाद दोनों पक्षों की ओर से अचानक फिर से नारेबाजी और पथराव शुरू हो गया, जिस पर पुलिस स्टाफ ने कंट्रोल रूम को सूचना दी। अन्य पुलिस अधिकारी पुलिस बल के साथ पहुंच गए। अफसरों ने शांति कायम करने की बार-बार अपील की। लेकिन एक पक्ष द्वारा लगातार पत्थरबाजी की जा रही थी। इस हालात को काबू करने के लिए 40-50 आंसू गैस के गोले छोड़े गए। भीड़ को तितर-बितर किया गया।