दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष और परोपकारी छवि वाले उद्योगपति रतन टाटा को देश के प्रति उनकी सेवा के लिए, सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. रतन टाटा को भारत रत्न देने के संबंध में एक जनहित याचिका (पीआईएल) कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष आई थी, इसमें न्यायमूर्ति नवीन चावला भी शामिल थे.
पीठ ने कहा- याचिका वापस लो, परिणाम भुगतना पड़ सकता है
हालांकि, पीठ ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि इस मामले में अदालत का हस्तक्षेप नहीं है. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से इसे वापस लेने को कहा, वापस नहीं लेने पर उन्हें इसके लिए परिणाम भुगतना पड़ सकता है. पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर वह चाहे तो सरकार से संपर्क कर सकते हैं.
हमें तय करना है, भारत रत्न किसे दिया जाना चाहिए?
पीठ ने कहा, “क्या यह हमें तय करना है कि भारत रत्न किसे दिया जाना चाहिए?” पीठ ने आगे कहा कि या तो आप इस याचिका को वापस ले लें, नहीं तो फिर अदालत की ओर से उन्हें इसकी कीमत (जुर्माना या दंड) चुकानी पड़ेगी.
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