तेलंगाना की सेला चावल खरीद को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच ठनी हुई है। सोमवार को सीएम के चंद्रशेखर राव ने अपनी पूरी कैबिनेट, पार्टी सांसद और विधायकों के साथ धान खरीद को लेकर सांकेतिक धरना दिया। राव ने चेतावनी दी कि अगर राज्य की सेलाव चावल की खरीद की मांग 24 घंटों के अंदर पूरी नहीं हुई तो आंदोलन और तेज करेंगे। हालांकि केंद्र ने स्पष्ट कर दिया कि सीमित मांग और अधिशेष भंडार होने के कारण भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अतिरिक्त सेला (उसना) चावल की खरीद नहीं कर सकता और इस बारे में तेलंगाना सरकार को बहुत पहले ही बता दिया गया था।
सेला चावल क्या है?
दरअसल धान धान (छिलके सहित चावल) को भिगोने, फिर आंशिक रूप से उबालने के बाद, उसे सुखाकर जो चावल निकाला जाता है, उसे भुजिया या उसना या सेला चावल कहते हैं। पारबॉयल्ड राइस या चावल की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई और आज दुनिया भर में उपजने वाले कुल धान के एक-चौथाई हिस्से का इस्तेमाल पारबॉयल्ड चावल के लिए किया जाता है। न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, सामान्य सफेद चावल के मुकाबले इसमें ज्यादा फाइबर, प्रोटीन और विटामिन बी होता है। हालांकि आयुर्वेद ब्राउन राइस को ज्यादा अहमियत देता है।
सेला चावल खरीद पर क्या है विवाद?
अब आते हैं सेला चावल की खरीद को लेकर विवाद पर। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से कहा गया कि 17 अगस्त, 2021 को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया था कि खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2021-22 के लिए केंद्रीय पूल में किसी भी राज्य से किसी भी प्रकार का कोई भी सेला चावल स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके पीछे उच्च स्टॉक स्तर का कारण बताया गया। केंद्रीय मंत्रालय ने कहा कि हालांकि, राज्य अपने खुद के उपभोग के लिए सेला चावल खरीद सकते हैं।
मंत्रालय ने कहा कि केएमएस 2020-21 में एक विशेष मामले के रूप में तेलंगाना को 44.75 एलएमटी सेला चावल की खरीद की अनुमति दी गई थी। हालांकि राज्य ने 4 अक्टूबर 2021 को एक लेटर के जरिए कहा कि भविष्य में तेलंगाना सरकार की ओर से एफसीआई को सेला चावल नहीं दिया जाएगा।
सेला चावल की कम डिमांड है वजह?
इस पत्र के बाद ही केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कथित तौर पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सूचित किया था कि भविष्य में एफसीआई द्वारा कोई भी चावल की खरीद नहीं की जाएगी। केंद्र ने यह भी तर्क दिया कि सप्लाइ की तुलना में चावल की मांग बहुत कम है।
एफसीआई के साथ सेला चालव के स्टॉक का विवरण साझा करते हुए खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, ‘सेला चावल का 40 एलएमटी का स्टॉक उपलब्ध है जो ति दो साल के लिए पर्याप्त है और इसकी शेल्फ लाइफ एक- डेढ़ साल तक होती है।’ उन्होंने कहा, ‘सेला चावल की सालाना खपत 20 लाख मीट्रिक टन है, इससे ज्यादा खरीद कर हम क्या करेंगे। जनता का पैसा बर्बाद होगा।’
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