मध्य प्रदेश साइबर पुलिस ने टेलिकॉम कंपनियों को फर्जी आइडेंटिसी प्रूफ द्वारा जारी किए गए सिम कार्डों को ब्लॉक करने का निर्देश दिया है। इस आदेश के बाद टेलिकॉम कंपनी Vi ने लगभग 8,000 सिम कार्डों को ब्लॉक कर दिया है। वर्ष 2020 में फेसबुक पर एक विज्ञापन के जरिए कार खरीदने का लालच दिया गया था और लोगों से 1.75 लाख रुपये की ठगी की गई थी। इसका शिकार हुए एक व्यक्ति की शिकायत पर कार्रवाई की गई और साइबर सेल की ग्वालियर यूनिट ने जांच शुरू की।
जांच में पाया गया कि साइबर क्रिमिनल्स द्वारा शिकायतकर्ता को धोखा देने के लिए जो नंबर इस्तेमाल किया गया था वो एक अलग व्यक्ति के आइडेंटिटी प्रूफ पर बनवाया गया था। ग्वालियर साइबर जोन पुलिस अधीक्षक सुधीर अग्रवाल ने जानकारी दी, “जो लोग धोखाधड़ी करते हैं उनका नंबर किसी और के नाम पर रजिस्टर्ड होता है। इसके बाद में यह पाया गया कि सिम कार्ड जारी करने के पीछे 8 लोग शामिल थे।”
साथ ही कहा कि इस मामले की व्यापक जांच करने के बाद, साइबर पुलिस को यह भी पता चला कि हैकर्स ने कथित तौर पर इन सिम कार्डों का इस्तेमाल करके लोगों को ठगने के लिए 20,000 अलग-अलग नंबरों का इस्तेमाल किया है। पुलिस ने सिम कार्ड जारी करने वाले 8 लोगों के खिलाफ एक साल से ज्यादा की कानूनी कार्रवाई की थी।
उन्होंने कहा कि जांच के बाद साइबर यूनिट ने वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और बीएसएनएल समेत अलग-अलग टेलिकॉम कंपनियों को इन नंबरों के दोबारा वेरिफिकेशन के लिए नोटिस जारी किया था। इस पर कार्रवाई करते हुए वोडाफोन-आइडिया ने हाल ही में 7,948 सिम कार्डों को ब्लॉक कर दिया। यह दावा किया जा रहा है कि दूसरी टेलिकॉम कंपनियां भी इस तरह के सिम कार्ड्स को दोबारा वेरिफाई करने पर काम कर रही हैं।
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