सूर्य से बुधवार को बेहद तीव्र ऊर्जा निकली, जिसमें सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम (Satellite Communication System) और ‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम’ (GPS) को प्रभावित करने की क्षमता है। सेंटर ऑफ एक्सेलेंस इन स्पेस साइंसेज ने यह जानकारी दी। कोलकाता स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में सीईएसएसई के एसोसिएट प्रोफेसर एवं समन्वयक दिब्येंदु नंदी ने बताया कि एक्स 2.2 श्रेणी की सौर ऊर्जा का उत्सर्जन भारतीय समयानुसार सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर सक्रिय सौर चुंबकीय क्षेत्र एआर12992 से हुआ।
‘सौर प्रज्वाल’ (सोलर फ्लेयर्स) या सूर्य से तीव्र ऊर्जा का उत्सर्जन…सूरज से अचानक उत्पन्न होने वाले सघन विद्युत चुंबकीय विकिरण को कहते हैं, जिससे इसके एक बड़े भाग पर तरंगदैर्ध्य उत्पन्न हो जाता है। इससे रेडियो संचार व्यवस्था, विद्युत पावर ग्रिड, नौवहन संकेतक प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही, इससे अंतरिक्ष यान एवं अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरा पैदा हो सकता है। इस स्तर के सौर ऊर्जा उत्सर्जन को ‘एक्स’ श्रेणी में रखा जाता है जिसका मतलब अत्यधिक उत्सर्जन होना है। इससे जुड़े अंक इसकी शक्ति के बारे में जानकारी देते हैं।
सेंटर ऑफ एक्सेलेंस इन स्पेस साइंसेज (सीईएसएसआई) ने ट्वीट किया, ‘ भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और एशिया प्रशांत क्षेत्र पर आयनमंडल में गंभीर गड़बड़ी जारी है।’ संस्था ने कहा कि इससे संचार व्यवस्था में उच्च तीव्रता की रूकावट की स्थिति, उपग्रहों में गड़बड़ी तथा जीपीएस प्रणाली एवं एयरलाइन की संचार व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। नंदी ने कहा कि सीईएसएसआई ने 18 अप्रैल को एक्स श्रेणी के उत्सर्जन का पूर्वानुमान व्यक्त किया था और कहा था कि उसके वैज्ञानिक इसके प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। नासा के अनुसार, इसमें सबसे प्रभावी उत्सर्जन को ‘एक्स श्रेणी’ में रखा जाता है और इसकी शक्ति के अनुरूप ही इसका वर्गीकरण किया जाता है
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