श्रीलंका में बुधवार को हुए भारी विरोध प्रदर्शन की वजह से कम से कम 84 लोग घायल हुए हैं. श्रीलंका अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक, कल पीएम आवास पर घुसने के दौरान करीब 42 लोग घायल हुए, जबकि संसद के नजदीक रातभर चले प्रदर्शन में 42 घायल हुए हैं. घायलों में 79 पुरूष जबकि 5 महिलाएं हैं. इनमें एक आर्मी ऑफिसर, 2 पुलिस ऑफिसर और दो पत्रकार भी शामिल हैं.
श्रीलंका में स्थिति बहुत नाजुक है तथा प्रदर्शनकारियों पर कोई भी सैन्य कार्रवाई समग्र माहौल को और खराब कर सकती है. यह चेतावनी बुधवार को रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने दी. उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि श्रीलंका में राजनीतिक अराजकता से बचा जाए और सभी हितधारकों को राजनीतिक स्थिरता बहाल करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए. राजपक्षे ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया और घंटों बाद उन्होंने सेना तथा पुलिस को देश में कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक हो, करने का आदेश दिया. साल 2009 से 2013 तक श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त के रूप में कार्य करने वाले अशोक के. कंठ ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘इस समय स्थिति बहुत अनिश्चित है. यह बहुत महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक अराजकता से बचा जाए, लेकिन साथ ही सेना और पुलिस के किसी भी हस्तक्षेप से स्थिति और खराब हो सकती है.’
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