यूरोपीय देशों की तीन दिवसीय यात्रा से लौटने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को देश के विभिन्न हिस्सों में पड़ रही भीषण गर्मी से निपटने और मानसून से जुड़ी तैयारियों का जायजा लेने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की।
मौजूदा वक्त में देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ रही है। कई शहरों में तापमान 43 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया जा रहा है। हालांकि दिल्ली समेत उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में बुधवार को हुई ओलावृष्टि और बारिश से लोगों को भीषण गर्मी से थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन मौसम विभाग का कहना है कि शुक्रवार से उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में एकबार फिर तापमान बढ़ना शुरू हो जाएगा।
बीते दिनों उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में औसत अधिकतम तापमान क्रमश: 35.9 और 37.78 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। देश के दोनों क्षेत्रों में 122 वर्षों में सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया गया। मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरके जेनामणि का कहना है कि सात मई के बाद हीटवेव के लौटने की संभावना है। भारत में खास तौर पर मई के महीने में आमतौर पर सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है।
इस साल उत्तर भारत में मार्च के अंत में हीटवेव शुरू हुई और अप्रैल के पहले हफ्तों में फैल गई। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस क्षेत्र में अप्रैल से जून तक प्री-मानसून सीजन के दौरान हीटवेव असामान्य नहीं है। सनद रहे कि इस साल मार्च में औसत तापमान लगभग 33 डिग्री सेल्सियस था जो 1902 के बाद से अब तक का सबसे गर्म मार्च के तौर पर दर्ज किया गया।
इस साल अप्रैल में दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया। यह तापमान अप्रैल के सामान्य उच्च तापमान की तुलना में काफी अधिक है। मौसम विभाग की मानें तो इस साल देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने की संभावना है। मौसम विभाग का कहना है कि मध्य भारत, हिमालय की तलहटी और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश भी हो सकती है।
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