बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लुएंजा के H3N8 स्ट्रेन से पहली बार इंसान संक्रमित हुआ है। चीन में चार साल का एक बच्चा इस स्ट्रेन से संक्रमित पाया गया है। उसे इसी महीने बुखार व अन्य लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चीन के नैशनल हेल्थ कमिशन (NHC) की ओर से जारी बयान के अनुसार, बच्चे का परिवार घर पर मुर्गियां पालता था। पूरा परिवार ऐसे इलाके में रहता था जहां जंगली बत्तखों की भरमार है। बयान में कहा गया कि बच्चे को सीधे पक्षियों से संक्रमण मिला और स्ट्रेन में ‘इंसानों को प्रभावी रूप से संक्रमित करने की क्षमता नहीं मिली।’ बच्चे के करीबी लोगों में भी किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं पाई गई। NHC के अनुसार, यह ‘क्रॉस-स्पीशीज ट्रांसमिशन’ का दुर्लभ केस है और बड़े पैमाने पर प्रसार का खतरा कम है। हालांकि, पब्लिक को मृत या बीमार पक्षियों से दूर रहने को कहा गया है। अगर बुखार या सांस से जुड़ी कोई दिक्कत महसूस हो तो फौरन मेडिकल सहायता लेने की सलाह दी गई है। आइए इस वायरस के बारे में और विस्तार से जानते हैं।
बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लुएंजा क्या है?
सभी एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस इंसानों को संक्रमित नहीं करते हैं। लेकिन, इनमें से कुछ इंसानों में गंभीर बीमारी पैदा कर सकते हैं। एवियन इन्फ्लुएंजा H5N8 वायरस, जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू के नाम से जाना जाता है, उनमें से एक है। यह हमारे फेफड़ों, नाक और गले पर अटैक करता है। यह सांस से जुड़ी एक संक्रामक बीमारी है और इसके लक्षण सामान्य जुकाम की तरह होते हैं।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, ऐसे वायरस आमतौर पर लोगों को संक्रमित नहीं करते। हालांकि इंसानों में संक्रमण के दुर्लभ मामले पहले भी सामने आए हैं। ज्यादातर संक्रमण H7N9 और H5N1 स्ट्रेन से होते हैं।अपोलो अस्पताल में कंसल्टेट, इंफेक्शन डिसीज, डॉक्टर जतिन आहूजा कहते हैं, ‘एवियन इन्फ्लुएंजा H5N1 वायरस यानी बर्ड फ्लू आमतौर पर पक्षियों में होने वाला रोग है। लेकिन कभी-कभी यह इंसानों में भी आ सकता है। उस स्थिति में टिपिकल फ्लू वाले लक्षण ही होते हैं।’ पारस हॉस्पिटल के कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, डॉक्टर राजेश कुमार कहते हैं, ‘यह पक्षियों से इंसानों में तब आता है जब इंसान और वायरस से बीमार पक्षी के बीच लंबे समय तक करीबी संपर्क हो। ऐसे में जो पॉल्ट्री फॉर्म वाले हैं, विक्रेता हैं और या फिर उनके साथ रहने वाले हैं, उनको बर्ड फ्लू होने के चांस रहते हैं। इसके अलावा अगर पक्षी का बिना पका या अधपका मीट खाते हैं तो भी इसके होने की संभावनाएं रहती हैं।’ वह आगे बताते हैं, ‘यह इंसानों से इंसानों में भी आसानी से नहीं फैलता।’
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