महंगे कच्चे तेल के दामों से फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही और ये राहत तब तक नहीं मिलेगी जब तक रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध खत्म नहीं हो जाता. अगर दोनों देशों के बीच युद्ध जारी रहा तो कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना रहेगा. इकॉनमिक इंटेलीजेंस यूनिट ( EIU) ने अपने ग्लोबल आउटलुक रिपोर्ट में ये बातें कही है.
इकॉनमिक इंटेलीजेंस यूनिट के मुताबिक रूस के हाइड्रोकार्बन एक्सपोर्ट पर रोक के साथ उसपर प्रतिबंधों के खतरे और सप्लाई बाधित होने के चलते दिक्कतें बनी रहेगी. रिपोर्ट के मुताबिक यूरोपीय गैस प्राइसेज की कीमतों में 65 फीसदी की तेजी इस वर्ष देखने को मिल सकती है. जबकि बीते साल 5 गुना दामों में इजाफा देखने को मिला था.
इकॉनमिक इंटेलीजेंस यूनिट के रिपोर्ट के मुताबिक कमोडिटी के दामों में भारी उछाल के चलते दुनियाभर में महंगाई में तेजी देखने को मिल सकती है. बहरहाल भारत के लिए ये बुरी खबर है जहां कमोडिटी और कच्चे तेल के दामों में उछाल के चलते महंगाई बढ़ी है.
रूस यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल के दामों में भारी उछाल आया है जिसके चलते सरकारी तेल कंपनियां 10 रुपये प्रति लीटर तक पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ा चुकी हैं. लेकिन कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना रहा तो आने वाले दिनों में सरकारी तेल कंपनियों को और भी दाम बढ़ाना पड़ सकता है. फिलहाल 6 अप्रैल के बाद से सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल डीजल के दाम नहीं बढ़ाये हैं. वहीं भारत सरकार सस्ते दाम पर कच्चा तेल खरीदने की जुगत में है. रूस ने भी भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार से कम दाम पर कच्चा तेल बेचने का ऑफर दिया हुआ है.
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