पाकिस्तान में सियासी संकट का सामना कर रहे प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में अमेरिका को लेकर कई बयान दिए हैं। अब जानकारों का मानना है कि इससे अमेरिका और पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों पर काफी असर पड़ सकता है। वहीं, अमेरिकी अधिकारी भी पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत में सावधानी बरत सकते हैं। खान ने आरोप लगाए थे कि उन्हें सत्ता से बाहर करने की कोशिशों में ‘विदेशी साजिश’ शामिल है। हालांकि, अमेरिका ने तमाम आरोपों से इनकार कर दिया है।समाचार एजेंसी एएनआई ने डॉन के हवाले से लिखा कि पीएम खान गुरुवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में पत्र का जिम्मेदार के तौर पर अमेरिका का नाम लिया था, बाद में उन्होंने सुधार किया और कहा कि वह दूसरा देश है अमेरिका नहीं। अमेरिका ने गुरुवार को खान के बयानों पर प्रतिक्रिया दी। प्रवक्ता ने कहा, ‘इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।’
राजनयिक समीक्षकों के अनुसार, मेजबान देशों के दूतावास और अधिकारी कई बार ऐसे ‘विचार’ व्यक्त करने के लिए अनौपचारिक बैठकों का इस्तेमाल करते हैं, जो आधिकारिक माध्यमों के जरिए नहीं भेजे जा सकते। एक ऑब्जर्वर ने कहा, ‘दूतावास सुनने वाली पोस्ट की तरह होते हैं। वे कई चीजें सुनते हैं और समझने और विश्लेषण के लिए अपनी सरकार से साझा करते हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन अगर आप मेजबान देश के अधिकारियों को शर्मिंदा महसूस कराते हैं, तो वे आपसे बात नहीं करेंगे और आपका दूतावास सुनने वाला पोस्ट नहीं रह जाएगा।’
वॉशिंगटन स्थित विल्सन सेंटर में दक्षिण एशियाई मामलों के जानकार माइकल कूगलमैन के अनुसार, ‘अमेरिका-पाकिस्तान रिश्तों के इतिहास को देखें, तो निजी चर्चाओं में दोनों पक्ष के अधिकारियों का मौजूदा स्थितियों पर निजी और नकारात्मक आकलन साझा करना आम है।’
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