मुंबई: बच्चों की स्कूल की फीस (School Fee) भरने के लिए मां-बाप के अथक प्रयासों की कई कहानियां आपने सुनी होंगी। लेकिन आज हम मुंबई के एक स्कूल टीचर की कहानी आपके सामने पेश कर रहे हैं। जिन्होंने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की फीस भरने के लिए क्राउड फंडिंग (Crowd Funding) का तरीका आजमाया। कोरोना काल में जब लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया था। तब उन्होंने क्राउड फंडिंग के जरिए तकरीबन एक करोड़ रुपए का चंदा इकट्ठा किया। यह दान देने वाले ज्यादातर एनजीओ और व्यक्तिगत लोग थे। मुंबई (Mumbai) के पवई इलाके में मौजूद एक स्कूल में बतौर प्रिंसिपल काम करने वाले शिरले पिल्लई को खुद इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी यह पहल इतनी कामयाब हो जाएगी। उन्होंने कहा कि बतौर टीचर यह उनके लिए बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि कोरोना (Corona) काल के दौरान अभिभावकों के अंदर बच्चों की शिक्षा और उनकी स्कूल फीस को लेकर उन्होंने एक चिंता देखी थी। शिरले पिल्लई पवई हाई स्कूल की प्रिंसिपल हैं।
27 मई 2021 को टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह खबर प्रकाशित की थी कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से कई लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा था। वहीं कई लोगों की तनख्वाह में भारी कटौती की गई थी। ऐसे में बच्चों की स्कूल फीस भर पाना काफी मुश्किल हो रहा था। इन्हीं सब को देखते हुए शिरले पिल्लई ने यह यह मुहिम छेड़ी थी। उन्होंने कॉर्पोरेट घरानों और अन्य लोगों से तकरीबन 40 लाख का डोनेशन हासिल किया। जिससे उन्होंने 200 बच्चों की साल 2019-20 की फीस भरी।
पिल्लई ने बताया कि इस साल फरवरी महीने के दौरान डोनेशन की रकम 90 लाख तक हो चुकी थी। हालांकि पिछले महीने उन्होंने कुछ और अतिरिक्त कोशिश करने का फैसला किया। जब उन्हें यह पता चला कि 144 छात्रों के पेरेंट्स ने सत्र 2021- 22 की फीस भरने के लिए काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। उन्हें यह भी पता चला कि ऐसे कई अभिभावक हैं, जो फीस की वजह से काफी परेशान हैं। लिहाजा दोबारा डोनेशन देने वालों का दरवाजा खटखटाया। उनकी कोशिश थी कि गर्मियों की छुट्टियों के पहले फीस का बंदोबस्त हो जाए। पिल्लई के मुताबिक इस बार भी लोगों ने दिल खोलकर दान दिया और हमें 61 लाख रुपये मिले। इन पैसों से 330 बच्चों की फीस भरी गई।
शिरले पिल्लई ने कहा कि जिस तरह से लोगों का प्रतिसाद मिला। वह हैरान करने वाला था।व्यक्तिगत रूप से लोगों ने दिल खोलकर बच्चों की फीस भरने के लिए दान दिया। कुछ लोगों ने एक या दो बच्चों की फीस भरने के लिए भी पैसे दिए। उन्होंने कहा कि फंड रेजिंग के लिए इस बार म्यूजिकल प्रोग्राम भी नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में मौजूद हमारे पूर्व छात्रों ने भी जमकर मदद की है।
शिरले पिल्लई ने बताया कि जरूरतमंद छात्रों की पहचान करने में टीचरों ने भी काफी मेहनत की। कई बार डोनर ज्यादातर उन बच्चों की फीस भरने के इच्छुक थे। जो पढ़ने में काफी अच्छे थे। लेकिन हमारे पास ऐसे भी बच्चे थे जो पहली बार स्कूल आए थे। कई ऐसे भी थे जो औसत छात्र थे लेकिन इन सभी को फीस भरने के लिए पैसों की जरूरत थी। पिल्लई ने कहा कि अक्सर कई-कई घंटे डोनर्स को यह समझाने में निकल जाता था कि वाकई में इन छात्रों को पैसे की जरूरत है। इसके साथ ही अभिभावकों को भी आंशिक पेमेंट करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था। स्कूल की फीस 35 हज़ार रुपये सालाना है। पेरेंट्स वाकई में पैसों जी किल्लत से जूझ रहे थे। हालांकि वे यह भी समझ रहे थे कि बच्चों की फीस भरना भी जरूरी है। इसलिए हमने उनसे कहा कि कुछ अमाउंट जमा कर दें और बाकी हमपर छोड़ दें।
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