गर्मी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। सुबह कुछ घंटे और शाम को कुछ घंटे छोड़ दें तो पूरे दिन ऐसी भीषण गर्मी होती है कि बाहर निकलना मुमकिन नहीं लगता। ऐसे में सबसे अधिक चिंता में रहते हैं किसान, क्योंकि उनके खेतों में गेहूं की लहलहाती फसल खड़ी है। गर्मी इतनी भीषण है कि अगर गेहूं के खेत में एक चिंगारी भी लग जाए तो न जाने कितने एकड़ खेत देखते ही देखते स्वाहा हो जाएगा। हर साल ऐसी कई घटनाएं सामने आती भी हैं कि कई किसानों के खेतों में खड़ी गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई। सवाल ये है कि ऐसी स्थिति में किसान के पास क्या विकल्प हैं? ऐसे किसानों को पीएम फसल बीमा योजना से राहत मिल सकती है। हालांकि, आपको पहले इस बीमा योजना के तहत आवेदन करना होगा, वरना नुकसान होने पर आपको कुछ नहीं मिलेगा।
इस योजना के तहत देश के किसानों को किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल में बर्बादी होने पर किसानों को उनकी फसल के पैसे दिए जाते हैं। अगर आप इस योजना के तहत आवेदन करना चाहते हैं तो पीएम फसल बीमा योजना की वेबसाइट पर जाना होगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की शुरुआत 2016-17 में हुई थी। इसका मकसद किसानों तक योजना का लाभ उचित तरीके से समय पर पहुंचाना है। इसके तहत खाने की फसलें (जैसे दालें, अनाज आदि), तिलहन फसलें, गन्ना, कपास और आलू आदि फसलें कवर होती हैं।
जैसा कि ये बेहद गर्मी का वक्त है तो हर किसान के मन में यह चिंता है कि अगर आग लग जाती है तो बीमा योजना के तहत पैसे मिलेगा या नहीं। अगर फसल में बिजली कड़कने या फिर किसी और प्राकृतिक वजह से आग लग जाती है तो पीएम बीमा योजना के तहत किसान को बीमा का पैसा मिल जाएगा। इसके अलावा अगर किसान की फसल किसी प्राकृतिक आपदा जैसे तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात, टॉरनेडो, बाढ़, भूस्खलन, सूखा, बीमारी आदि की वजह से बर्बाद होती है तो भी उसे बीमा के पैसे मिलेंगे। हालांकि, अगर यह आग किसी दंगे या दुश्मनी के चलते लगाई गई हो या फिर किसी युद्ध की वजह से लगी हो बीमा के पैसे नहीं मिलेंगे। इतना ही नहीं, अगर फसल का नुकसान घरेलू या जंगली जानवर से होता है, दुश्मनी के चलते होता है या फिर चोरी होती है तो उसके तहत बीमा के पैसे नहीं मिलेंगे। वहीं अगर फसल कटाई के बाद सूखने के लिए खेत में रखी हो तो भी बारिश आदि से नुकसान होने पर मुआवजा मिल जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पूरे देश में लागू है, लेकिन कुछ राज्य इससे अलग हैं। पंजाब तो कभी इस योजना का हिस्सा बना ही नहीं, लेकिन 2018-19 में बिहार और पश्चिम बंगाल ने भी इस स्कीम से हाथ पीछे खींच लिए। वहीं आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना और झारखंड जैसे प्रदेश भी इस स्कीम से बाहर हैं। इन राज्यों में पीएम फसल बीमा योजना के लागू ना होने की अलग-अलग वजहें हैं। कहीं राजनीति के चलते स्कीम नहीं है तो कहीं पर राज्यों का मानना है कि उनकी अपनी स्कीम पीएम फसल बीमा योजना से बेहतर है।
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