मुंबई लेट्स विन द हार्ट थियेटर सोसाइटी द्वारा शनिवार को नाटक हन्नु हटेला से लड़की सेट क्यों नहीं होती का मंचन अँधेरी पश्चिम के शाकुंतलम स्टूडियो में किया गया। राजेश कुमार द्वारा लिखे इस नाटक का निर्देशन युवा रंगकर्मी राज कुमार अहिरवार ने किया। नाटक में हन्नु हटेला द्वारा क़वारे, गरीब और ज़िम्मेदारी के बोझ तले लड़कों के दिल में पनपने वाली इच्छाओं, उम्मीदों और प्रेम को बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया। ये नाटक हन्नु हटेला की एक तरफा प्यार की दास्तान है, जो की विपरीत हालात से जूझते हुए भी उसे स्वयं पर पूर्ण विश्वास है की एक ना एक दिन तो उसे अपने सपनो रानी मिल ही जाएगी। नाटक के प्रथम दृश्य में दिखाया गया की सपने में एक खूबसूरत लड़की के साथ डांस कर रहा है दूसरे दृश्य में तीन नरेटरों दुसरा हन्नु का दर्शकों से परिचय कराते हैं उसके बाद हन्नु लव गुरु जैसी बाबा से लड़की पटाने का गुरु मन्त्र लेकर अपने मिशन पर निकल जाता है इस दौरान उसकी ज़िन्दगी में चार लड़कियां आती हैं लेकिन वो चारो उसका दिल तोड़के के उसे अकेला छोड़ के चली जाती है। पहली लड़की प्रिया उसे इसलिए छोड़ जाती है की हन्नु को लव लेटर लिखने की तमीज नहीं है और वो इस मामले में मूर्ख है। दूसरी लड़की सलमा से इसलिए उसका रिश्ता टूट जाता क्योंकी हन्नु उसके मज़हब का नहीं है। तीसरी लड़की सुधा से सिर्फ इसलिए क्योंकी वो उसकी जात नहीं है। और चौथी लड़की मोना इसलिए छोड़ जाती है क्योंकी हन्नु बहुत गरीब है। जब चौथी बार हनु का दिल टूटता है तो वो खुद को चाकू मार लेता है। तब दर्शकों को लगता की हन्नु मर गया पर अगले दृश्य तीनो नरेटर बताते हैं की हन्नु आठ दिन अस्पताल में रहने के बाद उठ खड़ा हुआ। सच में हन्नु मरते नहीं जब तक इनसे कोई लड़की सेट ना हो जाये ये मर ही नहीं सकते, अगले दिन निकल पड़ते हैं किसी नयी लड़की की तलाश में।
ये नाटक हमें किसी भी स्थिति में हार ना मानने की प्रेरणा देता है।
नटक में सभी कलाकारों ने लाजबाब अभिनय किया, इसमें म्यूजिक,डान्स, फाइट,कॉमेडी, इमोशन आदि सब कुछ था जिसका कालकारों द्वारा दर्शकों ने आनंद लिया ।
कुल मिला के इस नाटक के कलाकारों द्वारा दर्शकों समक्ष एक बेहतरीन प्रस्तुति पेश की गई ।
नाटक में पहले सूत्रधार, मसूद भाई, गुंडे और चेले का किरदार निभाया है गिरीश भूतिया ने, दूसरे सूत्रधार , गुंडे, अलीम और चेले का रोल किया आशीष ने, तीसरे सूत्रधार, अक्खा इंडिया, पोंगिया, कलीम और चेले अभिनय प्रियांशु सिंह राजपूत ने किया, जैसी बाबा का पात्र निभायाहै विवेक द्विवेदी ने,
प्रिया, सलमा, सुधा और मोना के रोल में थीं मौसमी पॉल, अंकिता पात्रा ने सलमा की मम्मी, डांसर, डेंजर लड़की और मोना को सहेली का अभियान किया है और हन्नु हटेला के किरदार में थे राज कुमार अहीरवार
बैकस्टेज की बात की जाए तो
वो बहुत ही मज़बूती से और अच्छे से किया गया
बैकस्टेज में
रूप सज्जा : जयश्री और बीना
प्रकाश परिकल्पना व संचालन मिथुन कुमार ने किया
संगीत संचालन आर्यन ने किया
संगीत चयन राज कुमार अहिरवार ने किया
मंच सामग्री कृष्णा चौधरी,अजय राज पंडित, जॉन क्रूज,अभिषेक सुकरे, कारन चौहान,अशोक अहिरवार
वेशभूषा निर्माण: कृष्णा चौधरी, मौसमी,प्रियांशु
वेशभूषा विन्यास : गिरीश भूतिया, आशीष, अंकिता पात्रा
मंच निर्माण राज अहिरवार कृष्णा चौधरी राजीव मैकले मंच व्यवस्थापक का कार्यभार मीरा अहिरवार व अशोक अहिरवार ने किया
वीडियोग्राफ़ी राजीव मैकले और आशीष ने की है
तो इस प्रकार कम संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद कठोर परिश्रम के साथ बड़ी ही उम्दा जबरदस्त खूबसूरती से कलाकारों द्वारा नाटक हन्नु हटेला से लड़की सेट क्यों नहीं होती का सफल मंचन किया गया ।
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