मुंबई । इन्सेम्बल स्टूडियो वर्सोवा अंधेरी वेस्ट में लेस्ट विन दी हार्ट थिएटर सोसाइटी द्वारा तीन नए नाटकों डूबा हुआ आदमी, लॉटरी का टिकट और सर्जरी का मंचन किया गया.पहला नाटक डूबा हुआ आदमी में समंदर किनारे अजीब तमाशे दिखाने वाले की खत्म होती जिंदगी को दिखाया गया। एक तमाशे वाला समंदर किनारे रहता है और वहां आने वाले लोगों को डूबने का तमाशा दिखाकर अपनी आजीविका चला रहा है। एक दिन लेखक अंतोन चेखव को तमाशा दिखाने वाला व्यक्ति अपने डूबने का तमाशा दिखाने के लिए राजी कर लेता है। तमाशे वाला व्यक्ति लेखक को बताता है कि उसे तैरना नहीं आता। वह जब तमाशा दिखाएगा तो सामने बैठे उसके साथी पॉपिन को बुला देना, ताकि वह उसे बचा सके। तमाशा दिखाने वाला पानी में चला जाता है और डूबने लगता है लेकिन तब तक लेखक बचाने वाले का नाम भूल जाता है और समय पर उसे आवाज नहीं लगा पाता। इससे तमाशे वाला पानी के अंदर ही अपना दम तोड़ देता है। नाटक में आनतोन चेखव की भूमिका में थे गिरीश भूतिया, तमाशा दिखाने वाले आदमी का रोल किया है कृष्णा चौधरी ने और जॉन क्रूज ने इंस्पेक्टर का अभिनय किया है. और दूसरा नाटक है “लॉटरी का टिकट” यह एक हास्य नाटक है इस नाटक की कहानी एक मुंशी जी के इर्द-गिर्द घूमती है जो लॉटरी टिकट खरीदता है और उसे जीतने के विचार से परेशान रहता है। वह पैसे जीतने के विचार से ग्रस्त होने के बजाय अत्यधिक आशावादी है। वह योजना बनाता है कि लॉटरी जीतने के बाद उसे जो नकदी मिलेगी उसका उपयोग वह कैसे करेगा। उसने अपनी नौकरी से भी इस्तीफा दे दिया क्योंकि उसे लगता है कि वह अमीर बनने जा रहा है और उसे अब अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए साधारण नौकरी की जरूरत नहीं है। वहीं उनकी पत्नी और भाई इस सब से आशंकित हैं. वे उसे उसकी हरकतों के बारे में चेतावनी देने की कोशिश करते हैं लेकिन उसके उत्साह को देखकर वे भी उस कल्पना में खिंच जाते हैं जिसमें मुंशी जी जी रहे हैं। नाटक एक मध्यम वर्गीय परिवार की एक सापेक्ष तस्वीर पेश करता है जो ‘ईज़ी मनी’ की अवधारणा पर आशा करता है और उस पर भरोसा करता है। रातोरात अमीर बनने का आइडिया. जब वास्तविक वास्तविकता सामने आती है तो ये उम्मीदें बिखर जाती हैं। नाटक हमें उस कष्टदायक संकट के बारे में भी बताता है जो धन या भौतिक संपत्ति की कमी से एक परिवार पर पड़ सकता है।
नाटक मुंशी जी के एक प्रफुल्लित करने वाले नोट के साथ समाप्त होता है भाभी की मृत्यु हो जाती है लेकिन वह अभी भी इस विचार से ग्रस्त है
लॉटरी मिल रही है.
नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों में मुंशी जी का रोल निभाया है विवेक द्विवेदी ने, बीवी की भूमिका में थीं जैसे जी काशीनाथ मोरे (आयशा ) और ठेकेदार का किरदार राजेश पॉल नें किया है और वहीं तीसरा नाटक था“सर्जरी” यह नाटक इस बारे में है कि कैसे एक दंत चिकित्सा सहायक का दांत निकालने का पहला प्रयास एक गांव में मनोरंजन का स्रोत बन जाता है।
‘सर्जरी’ में दांत के दर्द से पीडि़त एक पादरी अनुभवहीन डॉक्टर के पास जाता है। इसमें दूसरे के दर्द में खुश होने की सामाजिक विडंबना को दिखाया गया है।
इस नाटक में अनुभवहीन डॉक्टर का किरदार निभाया है मृदुल शर्मा ने और पादरी का किरदार किया है बन्नी मीणा ने
इन तीनो नाटकों का निर्देशन युवा कंगकर्मी राज कुमार अहिरवार ने किया है
मंच प्रकाश राजकुमार द्वारा प्रस्तुत किया गया.
ध्वनि सूरज भन्सोडे द्वारा प्रस्तुत की गई.
मंच निर्माण राजेश पॉल, सूरज भंसोड़े और कृष्णा चौधरी ने किया.
मंच सामग्री राजेश पॉल, विवेक द्विवेदी, जय श्री कशीनाथ मोरे और विपिन द्विवेदी ने किया.
कॉस्टयूम अजय राज पंडित, कृष्णा चौधरी और अशोक अहिरवार, मीरा अहिरवार
रूप सज्जा जय श्री काशीनाथ मौरे द्वारा किया गया.
कुल मिला के मिला के सभी कलाकारों ने अपने परिश्रम से इन तीनो नाटकों में चार चाँद लगा दिए.
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