ऑस्ट्रेलिया में हुई नई जनगणना के आंकड़ों से पता चला है कि यहां की आबादी में हिंदुओं और मुस्लिमों की हिस्सेदारी में तेजी से वृद्धि हुई है। जबकि ईसाइयों की आबादी 50 फीसदी से भी कम रह गई है। इसके अलावा किसी भी धर्म को न मानने वाले यानी नास्तिकों की संख्या में नौ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया की आबादी दो करोड़ 55 लाख हो गई है, जो 2016 में दो करोड़ 34 लाख थी। इस तरह देश की आबादी बीते 5 सालों में 21 लाख बढ़ गई है। ताजा जनगणना 2021 में हुई, जिसके आंकड़े हाल ही में जारी किए गए हैं।
कोरोना महामारी के दौरान आप्रवासन की दर धीमी हुई, लेकिन पिछले पांच सालों के दौरान देश में 10 लाख से ज्यादा लोग दूसरे देशों से आ चुके हैं। इनमें से करीब एक चौथाई भारतीय हैं। ऑस्ट्रेलिया में 20 फीसदी से ज्यादा लोग अपने घरों में अंग्रेजी से इतर अन्य भाषा बोलते हैं। 2016 से ऐसे लोगों की तादाद में करीब आठ लाख की वृद्धि हुई है।केवल 44 फीसदी रह गए ईसाई
ऑस्ट्रेलिया ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (एबीएस) के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि देश में खुद को ईसाई बताने वालों की संख्या करीब 44 फीसदी रह गई है। वहीं लगभग 50 साल पहले ईसाइयों की आबादी करीब 90 फीसदी थी। हालांकि देश में ईसाई धर्म को मानने वालों की संख्या अभी भी ज्यादा है। उसके बाद दूसरे नंबर पर ऐसे लोगों की संख्या है जो किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं। देश में किसी भी धर्म को नहीं मानने वाले लोगों की संख्या बढ़कर अब 39 फीसदी हो गई है।
हिंदू और इस्लाम अब ऑस्ट्रेलिया के सबसे तेजी से बढ़ते धर्म हैं। हालांकि हिंदुओं की आबादी 2.7 फीसदी और मुस्लिमों की 3.2 फीसदी है। मगर पिछली बार की जनगणना से तुलना करने पर पता चलता है कि दोनों धर्मों के लोगों की संख्या बढ़ रही है। 2016 में हिंदुओं की जनसंख्या ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी का 1.9 फीसदी और मुस्लिम 2.6 फीसदी थे। पिछली बार की अपेक्षा में हिंदू धर्म सबसे तेजी से बढ़ा है।
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