शिव भक्तों के लिए सावन मास खास होता है। सावन महीने में भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति की मान्यता है। शास्त्रों में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का वर्णन है। इन ज्योतिर्लिंग में एक भीमाशंकर भी है। इस मंदिर के निकट एक नदी बहती है, जिसका नाम भीमा नदी है। यह नदी आगे जाकर कृष्णा नदी में मिलती है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से करीब 110 किलोमीटर दूर शिराधन गांव में स्थित है। पढ़िए यहां भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पावन कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार, रावण के भाई कुंभकरण को सह्राद्रि पर्वत पर कर्कटी नामक राक्षस से मुलाकात हुई। दोनों ने एक-दूसरे से शादी कर ली। शादी के बाद कुंभकरण लंका वापस आ गया। लेकिन कर्कटी पर्वत पर ही रह गई। कर्कटी ने एक पुत्र को जन्म दिया। कुंभकरण के इस पुत्र का नाम भीम था। भगवान राम ने कुंभकरण का वध कर दिया। वहीं कर्कटी ने अपने पुत्रों को देवताओं से दूर रखने का फैसला लिया। बड़े होकर भीम ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने का सोचा।
भगवान ब्रह्मा का प्राप्त किया वरदान-
भीम ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या करके उनसे ताकतवर होने का वरदान प्राप्त किया। एक राजा कामरुपेश्वर थे, जो भगवान शिव के बड़े उपासक थे। एक दिन भीम ने राजा को भोलेनाथ की पूजा करते देख लिया। उसने राजा को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया। लेकिन राजा जेल में ही शिवलिंग बनाकर भगवान शंकर की पूजा करने लगे। जब भीम को इस बात का पता चला तो उसने तलवार की मदद से राजा के बनाए शिवलिंग को तोड़न का प्रयास किया। जिसके परिणाम स्वरूप स्वयं देवों के देव महादेव प्रकट हुए।
भीम व भगवान शंकर के बीच हुआ भयंकर युद्ध-
भीम व भगवान शंकर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में भगवान शिव ने भीम का वध कर दिया। फिर देवताओं ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वे उसी स्थान पर रहें। देवताओं के कहने पर भगवान शिव उसी स्थान पर शिवलिंग रूप में स्थापित हो गए। भीम से युद्ध के कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पड़ा।
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