November 18, 2024

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बेहद आसान भाषा में समझिए क्या है G-7 सम्मेलन और क्या है इसका उद्देश्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी में आयोजित ग्रुप ऑफ सेवन यानी (जी 7) के शिखर सम्मेलन में मौजूद हैं। विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा कि प्रधान मंत्री सम्मेलन के दो सत्रों में पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और लोकतंत्र जैसे विषयों पर अपनी बात रख सकते हैं। वह भाग लेने वाले कुछ देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि क्या है जी 7 सम्मेलन (G-7 Summit)और क्या है इसकी भूमिका।
G7 प्रमुख औद्योगिक देशों का एक समूह है जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इस समूह में वो देश शामिल हैं जो आजादी, ह्यूमन राइट्स, डेमोक्रेसी और डेवलपमेंट के सिद्धांत पर चलते हैं। इस वर्ष जर्मनी G7 की अध्यक्षता कर रहा है।
हर साल यह समूह शिखर सम्मेलन का आयोजन करता है जिसके दौरान मानव हितों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाती हैं। इस सम्मेलन में अलग-अलग वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करते हैं और उसका समाधान ढूंढने का प्रयास करते हैं। अगर इतिहास की बात हो तो जी 7 की समूह की स्थापना 1975 में हुई थी और इसी वर्ष इस समूह की पहली बैठक आयोजित की गई।
जब इसकी पहली बैठक हुई तो इसमें दुनिया भर में बढ़ रहे आर्थिक संकट और उसके समाधान पर बात की गई। 1976 में इस ग्रुप से कनाडा जुड़ गया और यह G-7 में तब्दील हो गया। इस ग्रुप से जुड़ी एक सबसे खास बात यह है कि बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद चीन कभी इसकी हिस्सा नहीं रहा। जी 7 के देशों के अलावा दूसरे देशों के प्रतिनिधियों को भी इस सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता है।
इस वर्ष जर्मनी के चांसलर ने भारत, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और साउथ अफ्रीका को सम्मेलन में शामिल होने का न्योता दिया है। इसके साथ ही यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की भी वर्च्युअल रूप से सम्मेलन में भाग लेंगे। कई इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन जैसे यूनाइटेड नेशंस, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड और वर्ल्ड बैंक भी इस सम्मेलन का हिस्सा होंगे। हर साल सम्मेलन खत्म होने के बाद यह बताया जाता है कि किन मुद्दों पर चर्चा हुई और और उसका क्या समाधान निकला।