दिल्ली के खजूरी खास इलाके में एक 5 साल की बच्ची को कड़ी धूप में छत पर हाथ-पैर बांध कर डाल देने वाला वीडियो इंटरनेट पर काफी वायरल हुआ। बताया जा रहा है कि बच्ची की मां ने होमवर्क नहीं करने पर उसे यह सजा दी थी। वहीं, यूपी की राजधानी लखनऊ से एक खबर थी जिसमें एक 16 साल के बेटे ने मां की टोकाटोकी से नाराज होकर उसे गोली मार दी। लड़का मां की तरफ से बार-बार गेम खेलने से लेकर बाहर जाने और इंस्टाग्राम के यूज करने को लेकर टोके जाने काफी नाराज था। इन दोनों घटनाओं ने पैरेंटिंग को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि माता-पिता और बच्चों का रिश्ता उस कच्चे धागे की तरह कोमल होता है, जो थोड़ी सी भी खींचतान होने पर टूट जाता है। यहां से उत्पन्न खटास फिर आसानी से मिटती नहीं है। ऐसे में बच्चों के लिए लिमिट तय करना और उनका दोस्त बनना जरूरी है।मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि पैरेंटिंग दुनिया के सबसे मुश्किल कामों में से एक है, जहां कोई फिक्स फॉर्म्युला नहीं है। लेकिन बदलते दौर में तेजी से जेनरेशन गैप की खाई बढ़ रही है, बच्चों की सोच, समझ, बातचीत, रहन सहन, इतना तेजी से बदला है कि बच्चों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि क्या सही है और क्या गलत है? इसलिए, जरूरी है चीजों को बैलेंस करने की। न तो माता-पिता को खुली छूट देनी चाहिए और न ही बहुत सख्त सजा देनी चाहिए। तालमेल बनाए रखने की जरूरत है और बच्चे अधिकांश चीजें अपनी परवरिश से ही सीखता है और अमल करता है। इसे दोनों पक्षों को समझने की जरूरत है। अगर कोई माता पिता और बच्चों के बीच कोई अनबन हो तो सोने से पहले यह दूर हो जाना चाहिए, तभी रिश्ते की अहमियत बनी रहती है और जिंदगी आगे खुशनुमा होती है।
चेक एंड बैलेंस बनाएं, टोके और सीमित करें : इहबास के सायकायट्रिस्ट डॉक्टर ओमप्रकाश का कहना है कि पैरेंटिंग दुनिया का सबसे मुश्किल काम है। समय बदल गया है। बहुत बड़ा गैप आ गया है। बच्चों की सोच, विचार, समझ बदल गई है। हर माता पिता बच्चे के लिए अच्छा ही सोचता है। लेकिन अपने विचार बच्चों पर न थोपें। मारपीट तो बिल्कुल न करें। डॉक्टर ओमप्रकाश ने कहा कि एक बैलेंस बनाए। गलत और सही के बारे में बताएं। रिवार्ड सिस्टम अपनाएं। बच्चे को हर अच्छे काम के लिए टोकन दें। 10 टोकन जमा होने पर उसे रिवार्ड दें, उसकी मांग पूरी करें। इससे बच्चे की अच्छी परवरिश होगी और अच्छी आदतें पड़ेगी। बच्चों के लिए एक लिमिट सेट करें, जहां यह तय हो कि इससे ज्यादा नहीं जाना है। अगर मोबाइल मांगता है तो फिक्स टाइम कर दें, 20 मिनट या फिर कुछ और। उससे ज्यादा न दें। ताकि मोबाइल लेने पर उसे बुरा न लगे, उसे पहले से पता हो कि इस समय के बाद मोबाइल नहीं मिलेगा। चेक एंड बैलेंस बनाएं, टोके और सीमित करें।
बच्चों के साथ वक्त बिताना बेहद जरूरी : साइकोथेरेपिस्ट काउंसलर डॉ रागिनी सिंह का कहना है कि बच्चों का बिहेवियर उसके पालन पोषण, सोशल एनवायरमेंट का खासा असर होता है। आप पहले बच्चे को छूट दे देते हैं और फिर अचानक उसे कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं। माता पिता खुद मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं, बच्चे के हाथ में भी मोबाइल दे देते हैं और धीरे धीरे उसकी आदत बन जाती है। लेकिन जब अचानक आप मोबाइल नहीं देंगे तो उसे बुरा लगता है। इसलिए कभी भी बच्चे को मोबाइल देकर शांत न करें। उससे बात करें, समझाएं, आराम से हैंडल करें। उसके इंट्रेस्ट पर बात करें। उसे रात में स्टोरी सुनाएं। अच्छी बातें करें। लेकिन अक्सर माता पिता समय नहीं देते और केवल बच्चों की जिद पूरी करने में लग जाते हैं। ऐसी आदत से बचना चाहिए।
होमवर्क नहीं करना कोई क्राइम नहीं : डॉक्टर रागिनी ने कहा कि जिस प्रकार का हादसा देखा जा रहा है, उसे टाला जा सकता है। होम वर्क नहीं करने की सजा मिले यह सही नहीं है। वहीं बच्चे प्रतिशोध में मां की हत्या कर दे, यह तो सबसे बुरा है। हमेशा जब भी माता पिता कठोर सजा देते हैं तो बच्चों में प्रतिशोध बढ़ जाता है। कभी कभी खुद से नफरत करने लगते हैं, अपना नुकसान कर बैठते हैं। डॉक्टर ने कहा कि होमवर्क नहीं करना कोई क्राइम नहीं है, हां यह अनुशासनहीनता जरूर है। यह स्थिति क्यूं बनी, इस पर पहले से नजर रखें। अगर बच्चा छोटी छोटी जिद पर अड़ जाए तो काउंसलर को दिखाएं। दूसरे बच्चे से तुलना न करें, दूसरे के नंबर को लेकर बच्चे को नहीं डांटे। उनके गुणों को समझें, उसके लिए काम करें। बैलेंस बनाकर ही चलने पर समझदारी है और इस तरह की घटना को रोकने में मदद मिल सकती है।
5 साल की बच्ची के हाथ पैर-बांध धूप में छत पर लेटाया
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के खजूरी खास इलाके में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। मां ने होमवर्क नहीं करने पर पांच साल की बच्ची को दोपहर को कड़ी धूप में छत पर लिटा दिया। लड़की के हाथ-पैर भी बांध दिए। लड़की चीखती-चिल्लाती रही। किसी ने इसका विडियो बना लिया, जिसे इंटरनेट पर वायरल कर दिया गया। पुलिस के आला अफसरों तक विडियो पहुंचा तो खोजबीन शुरू हुई। पुलिस अब लड़की के माता-पिता तक पहुंच गई है। पुलिस अफसरों ने शुरुआती जांच के बाद मां के खिलाफ बच्चों के साथ क्रूरता (75, जुवेनाइनल जस्टिस एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज किया। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर एक विडियो वायरल हो रहा था। इसमें छोटी बच्ची के हाथ-पैर बंधे हुए हैं। दोपहर में प्रचंड धूप दिख रही है। बच्ची जोर-जोर से चिल्ला रही है, लेकिन छत पर कोई नहीं है। पड़ोस की छत से किसी ने विडियो बनाई है, जो दोपहर 2:00 बजे की बताई जा रही है। यह विडियो सोशल मीडिया पर बुधवार को वायरल हो रही थी। इस विडियो को करावल नगर थाना इलाके का बताया गया था। लिहाजा पुलिस ने वहां पता लगाया लेकिन ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया। इसके बाद कई टीमें विडियो वाले मकान की खोजबीन में लगाई गईं। इसके बाद ये मामला खजूरी खास थाना इलाके के तुकमीरपुर का निकला। पुलिस अफसरों ने बताया कि माता-पिता से पूछताछ की गई। पिता दर्जी हैं, जबकि मां हाउस वाइफ हैं। फैमिली में बड़ा बेटा और छोटी बेटी हैं। पूछताछ में मां ने बताया कि यह मामला 2 जून की दोपहर का है। लड़की पांच साल की है और पहली क्लास में पढ़ती है। वह स्कूल का होमवर्क नहीं कर रही थी। मां का दावा है कि उसे काफी समझाया, लेकिन वह होमवर्क करने के लिए मान नहीं रही थी। इसलिए गुस्से में आकर बच्ची के हाथ-पैर बांध दिए और छत पर धूप में लिटा दिया था। हालांकि बाद में इसे नीचे ले आया गया था।
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