जम्मू कश्मीर में इन दिनों सक्रिय आतंकियों के पास हथियार सुरक्षा बलों के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं. ये वह हथियार हैं जो पिछले साल अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में छोड़ गए थे. अब ये हथियार कश्मीर आना शुरू हो गए हैं. सेना के अनुसार उनको इन हथियारों के बारे में तब पता चला जब घुसपैठ के दौरान मारे गए आतंकियों के पास से ये साजो सामान बरामद हुए हैं. सेना के सूत्रों ने बताया कि मारे गए आतंकियों के पास से आधुनिक नाईट विजन और थर्मल इमेजिंग डिवाइस का पता चला है.
श्रीनगर स्थित 15वीं कोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट.जनरल दिरिंदर प्रताप पांडे के अनुसार यह बात सच है कि सेना को ऐसे हथियारों के बारे में पता चला है जो अमेरिकी सेना के हैं. इस समस्या से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार नवंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच के छह महीनो में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी आतंकियों ने घाटी में घुसपैठ करने की कोशिश की थी. इन घुसपैठियों की जानकारी सेना के पास है. उन्होंने बताया कि अमेरिकी के इन नये हथियारों के साथ नए आतंकी जत्थे सीमा में प्रवेश कर सकते हैं.
दक्षिण और मध्य कश्मीर के क्षेत्रों में पाए गए ये आतंकी
हालांकि खुफिया एजेंसियों के अनुसार जम्मू के पुंछ-राजौरी बेल्ट और कश्मीर घाटी के भी कुछ क्षेत्रों में कम से कम 60 से 90 आतंकियों के जम्मू कश्मीर में घुसने की बात हो रही है. इस बात का सबूत जनवरी से अभी तक की मुठभेड़ में 15 आतंकियों के मारे जाने से स्पष्ट हो गया है. यह सभी विदेशी आतंकी दक्षिण और मध्य कश्मीर में मारे गए जहां अभी तक केवल स्थानीय आतंकियों को देखा जा रहा था.
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जहां सुरक्षाबलों के हाथों 2021 में मारे गए 184 आतंकियों में से केवल 20 विदेशी आतंकी थे वहीं 2022 के चार महीनों में मारे गए 62 आतंकियों में 15 विदेशी आतंकी थे. यह बढ़ा हुआ आंकड़ा इस बात का सबूत है कि कश्मीर में कम होते आतंकवाद को फिर से जिंदा करने के लिए पाकिस्तान अपने नागरिकों की कश्मीर घाटी में बलि चढ़ाना शुरू कर दिया है.
आतंकियों के पास मिले हैं कौन से अमेरिकी हथियार ?
इन नए विदेशी आतंकियों के पास से अमेरिकी हथियार मिल रहे हैं. इनमें M-16 और M-4A अमेरिकी असॉल्ट राइफल, कनाडा में नाईट विजन दूरबीन और स्वीडन की थर्मल इमेजिंग डिवाइस प्रमुख है. नाईट विजन और थर्मल डिवाइस के आने से आतंकी सेना के जवानों की पोजीशन अंधेरे में भी आसानी से पता कर सकते हैं.
इसके अलावा आतंकियों के पास स्टील टिप और स्टील कोर वाली अमेरिकी गोलियों ने आतंकियों के हाथ में सबसे घातक हथियार डाल दिया है. इन नई गोलियों के आने से भारतीय सेना में इस्तेमाल होने वाली LEVEL-3 बुलेट प्रूफ जैकेट बेकार हो गए हैं. यह अमेरिकी गोलियां बख्तर-भेदी होती हैं.
अफगानिस्तान छोड़ते समय अमेरिकियों ने कितनी गोलियां पीछे छोड़ी ?
इसलिए अभी सेना ने इमरजेंसी के तौर पर कश्मीर में आतंक विरोधी ऑपरेशन करने वाली राष्ट्रीय राइफल और पैरा-कमांडो के लिए नए प्रकार की LEVEL-4 बुलेट प्रूफ जैकेट मंगाने शुरू कर दिए हैं. एक अनुमान के मुताबिक अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से जाते समय करीब 6 लाख 50 हजार छोटे हथियार और करीब 3 करोड़ गोलियां पीछे छोड़ दी हैं. इन गोलियों में से कितनी गोलियां बख्तरबंद गोलियां हैं यह कोई नहीं जानता है.
कैसे सामने आया स्टील बुलेट के इस्तेमाल का सच ?
21 अप्रैल 2022 को जम्मू और कश्मीर पुलिस को उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के कुंजर के मालवा गांव में आतंकवादियों और उनके स्थानीय कमांडर के बीच बैठक के बारे में सूचना मिली. जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG)की एक क्विक रिएक्शन टीम ने बडगाम जिले में अपना मुख्यालय छोड़ दिया और सेब के बागों और घने जंगलों से घिरे पोशकर पहाड़ियों की तलहटी में स्थित गांव की ओर चल पड़े.
तब तक बारामुला पुलिस, सीआरपीएफ और 62 राष्ट्रीय राइफल्स के सेना के जवान उस टीम में शामिल हो गए थे, जिसने गांव में घर-घर तलाशी शुरू की थी. तलाशी के दौरान, जब सेना और पुलिस की एक संयुक्त टीम घरों के एक समूह में पहुंची तो वे भारी गोलीबारी की चपेट में आ गए जिसके परिणामस्वरूप सेना के 4 जवान और जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक जवान घायल हो गया.
कौन था 17 साल का आतंकी जो करना चाहता था आत्मसमर्पण ?
अब जब सैनिकों ने इस पर जवाबी कार्रवाई की तो लश्कर के सबसे पुराने आतंकवादी मोहम्मद यूसुफ कांत्रू को मार गिराया. मुठभेड़ के दौरान स्थानीय सेना इकाई ने संयम बरता क्योंकि उनको घरों के अंदर अरिपंथन गांव के एक 17 वर्षीय स्थानीय लड़के की मौजूदगी के बारे में इनपुट मिला था. फैसल डार के रूप में पहचाना गया लड़का मार्च 2022 में लश्कर में शामिल हुआ था और यूनिट उसे आत्मसमर्पण करने का मौका देना चाहती थी.
हालांकि इस मुठभेड़ के दौरान एक अन्य फंसे आतंकवादी हिलाल शेख ने सुरक्षा बलों को एक महत्वपूर्ण इनपुट दिया. उसने कहा, “मैं और फैसल यहां है. यूसुफ को टांग में गोली लगी है और दोनो विदेशी भी अंदर ही हैं.” इसके बाद दो विदेशी आतंकियों समेत पांच आतंकियों की मौजूदगी की पुष्टि होने के बाद सेना ने मोर्चा संभाल लिया और मुठभेड़ शुरु कर दी. शाम तक एक और आतंकवादी को मार गिराया गया लेकिन रात होते-होते हमले को रोक दिया गया.
रात को लगी थी सेना के मेजर को गोली
सेना ने रात में गांव के चारों ओर का घेरा मजबूत किया और इस वजह से दूसरे दिन भी मुठभेड़ जारी रही. लेकिन 22 अप्रैल को सेना के जवानों को आश्चर्य हुआ क्योंकि फंसे हुए विदेशी आतंकवादियों ने तड़के सैनिकों पर हमला किया क्योंकि वे घर के अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे. “मेजर सुभांकर के नेतृत्व में हमला करने वाली टीम में से एक ने हमले का दंश झेला और आतंकवादियों द्वारा चलाई गई गोलियों में से एक सीधे मेजर के बुलेट प्रूफ बनियान की दो चादरों को काटते हुए निकल गई.”
यह स्पष्ट था कि आतंकवादी स्टील शेल्ड कवच भेदी गोलियों से लैस थे जो सेना के जवानों द्वारा वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे लेवल -3 बुलेट प्रूफ को नुकसान पहुंचा सकते हैं. हालांकि सुरक्षा बलों को युसुफ कांट्रो की शक्ल में मुठभेड़ में बड़ी कामयाबी मिली है जो पिछले 22 वर्षों से सक्रिय था. उसको तीन बार गिरफ्तार किया जा चुका था लेकिन अपनी रिहाई के बाद वह पुनर्नवीनीकरण आतंकी संगठन में शामिल हो गया था.
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