छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है. सरगुजा से बस्तर तक अनेक प्राकृतिक झरने मौजूद हैं जो अत्यंत मनमोहक नजर आते हैं. गर्मी के दिनों में बस्तर का चित्रकोट लोगों का पसंदीदा जगह बनता जा रहा है. वहीं सूरजपुर (Surajpur) का रकसगंडा झरना (Rakasganda Waterfall) भी कोई कम नहीं है. यहां भी साल भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है. रेण नदी पर बनने वाला यह झरना सूरजपुर जिले के दूरस्थ अंचल चांदनी बिहारपुर क्षेत्र में बहता है, जहां से एमपी राज्य और बलरामपुर जिले का बॉर्डर है.
सरहदी इलाके में होने की वजह से रकसगंडा झरने में एमपी और यूपी के सैलानियों का आना-जाना होता है. यहां पूरे साल लोग पिकनिक मनाने पहुंचते हैं. अब रकसगंडा झरने के पास पर्यटन विभाग ने सुविधाओं का विस्तार किया है. वहां घूमने पहुंचने वालों के लिए वॉच टॉवर बनाया गया है, जिसके ऊपर से झरने को देखा जा सकता है. वहीं पिकनिक मनाने वाले के लिए अलग से जगह निर्धारित कर दिया गया है, जहां बैठने के लिए व्यवस्था की गई है. साथ ही धूप से बचने के लिए छत भी बनाया गया है.
गौरतलब है कि रकसगंडा झरना वनांचल इलाके में है. इस झरने के आस-पास तीन दिशाओं में सिर्फ पहाड़ और जंगल ही नजर आते हैं, जो सर्दी के मौसम में अत्यंत सुंदर दिखाई पड़ते हैं. इसके अलावा झरने की खास बात यह है कि यह नदी के बीच से बहता है. वहीं झरने के आसपास में दूर-दूर तक सिर्फ पत्थर ही पत्थर है और नदी पर एक डेम बंधा हुआ है, जिसके ऊपर बैठकर लोग समय गुजारते हैं.
हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से इस झरने के पास काफी एहतियात बरतने की जरूरत पड़ती है, क्योंकि झरने का पानी ऊपर से नीचे गहराई में गिरता है और इसके आस-पास में सिर्फ पत्थर ही पत्थर है. ऐसे में झरने को करीब से देखने पर अनहोनी की आशंका रहती है.
झरने के आस-पास के विशेष संरक्षित जनजाति पंडो निवास करते हैं, जो तीर-धनुष लेकर लोगो को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. रकसगंडा झरना जिला मुख्यालय सूरजपुर से 120 किलोमीटर दूर नवगई गांव में स्थित है. यहां बस, बाइक, कार या प्राइवेट ट्रांसपोर्ट से आसानी से पहुंचा जा सकता है. रकसगंडा झरना सर्दी और गर्मी के मौसम में घूमने लायक उपयुक्त है, लेकिन बरसात के समय नदी में ज्यादा पानी भरने से झरना के पास पहुंचना मुश्किल होता है.
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